bjp को सवर्णों की पार्टी कहा जाता रहा है, मगर 2014 ke chunavon में पूरी तरह गलत सिद्ध होगई, तभी तो भाजपा
दलितों व पिछड़ों के समर्थन को भी पाने में कामयब हो गयी थी मगर यह बीजेपी का भ्रम साबित हुआ, अब पिछड़े तो बीजेपी से आपने काम बनवाने में कामयाब रहे हैं मगर वोट बीजेपी को नहि डाल रहे हैं तभी तो अलग अलग छोटे व निकाय चुनावों में बीजेपी की हार हुयी है, साथ ही साथ सवर्णों ने भी बीजेपी की पिछड़ा तुष्टिकरन की राजनिति कको समझ लिया है, ऐसा केवल इसलियें हुआ क्यूंकि बीजेपी समझ ति थी की हम यदि सभी वर्गों को साथ लेकर चलेंगे तो सब का विकास होगा, जिसके चलते पिछड़ों को कुछ फायदे दिए जाएँ, मगर हुआ वाही बीजेपी ने सवर्णों को गहर की मुर्गी दाल बराबर समझा,
जिसका फायदा अब विपक्षी दल उठा रहे हैं और इसी लियें उन्होंने सवर्णों को भड़काना शुरू कर दिया है, तभी तो अचानक से सोशल मीडिया पर जैसे बीजेपी के विरोधियों की बढह सी आगई है, और बहुत सारे फेक एकाउंट्स के चलते ट्विटर व फेसबुक के जरिये सवर्णों को भ्रमित करना शुरू कर दिया है | और तो और नोट के नाम पर बीजेपी के वोट बैंक को तोड़ ने की गहरी साजिश चल रही है |
इस ही का नतीजा है की देश भर में कभी दलित तो कभी सवर्ण आन्दोलन हो रहे हैं क्यूंकि विपक्ष ये अच्छी तरह से जानता है की बीजेपी को २०१९ में हराना नाम्मुकिन है क्यूंकि २०१४ ममें सभी वर्गों ने विकास के नाम पर बीजेपी को एक जुट होकर वोट दिया था ,और वे सब अब कभी भी विपक्ष के पास नहीं जाने वाले इसलियें क्यूँ न बीजेपी के सबसे बड़े वोट बैंक को ही तोड़ दिया जाए, चाहे उनकी वोट विपक्ष में जाये या न जाये मगर बीजेपी को नहीं जनि चाहिए, इसीलियें नोट नोट चिल्ला रहे हैं और सवर्णों के हाथ में आये एक मात्र मौके को भी उनसे छीन लेना चाहते हैं